putin-modi_cropped

नई दिल्ली एशिया की अस्थिर पावर डायनामिक में अपनी स्थिति मज़बूत बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। लेकिन ऐसा करने के लिए दिल्ली को अपनी  और चीन और पाकिस्तान की सैन्य क्षमता के अंतर को कम करना होगा और अपनी नेट सिक्योरिटी प्रोवाईडर बनने की क्षमता को बढ़ाना होगा। भारत और रूस के बीच हाल ही में हुए रक्षा सौदे सेना के आधुनिकीकरण के अभियान का संकेत हो सकते हैं। लेकिन यह इस बात की तरफ भी इशारा कर रहे हैं कि भारत द्वारा स्वदेशीकरण के सारे प्रयास लड़खड़ा रहे हैं और रूसी सैन्य प्लेटफार्मों पर उसकी निर्भरता बनी हुई है। जबकि रूसपाकिस्तान सैन्य संबंधों के बारे में भारत के लिए  चिंता की खबर मास्को को है। अब इस स्थिति में अमेरिका की तरफ अपने सामरिक झुकाव को बनाए रखना  भारत के लिए एक राजनयिक चुनौती होगी, विशेष रूप से जब भारत रूस पर अपनी सैन्य निर्भरता को समझता है।

हालांकि सरकारी तौर पर भारत गुटनिरपेक्ष था, शीतयुद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के करीबी संबंध थे और सैन्य उपकरणों के लिए वह उस पर ही  निर्भर था। इस निर्णय की विरासत के कारण ७0 प्रतिशत से अधिक भारतीय सैन्य उपकरण, जेट लड़ाकू विमानों से पनडुब्बियों तक, सब रूसी मूल के हैं या रूस निर्मित है। हालांकि यह भी दिलचस्प है कि पूर्ण रूप में भारी संख्या के बावजूद, जैसे जैसे भारत और अमेरिका के संबंध बढ़े हैं, भारत की रक्षा खरीद में रूस का हिस्सा गिरा है। उदाहरण के तौर पर, २०१४ में, अमेरिका ने पहली बार भारत को  $१९ बिलियन के हथियार निर्यात कर के रूस को पीछे छोड़ दिया इसके विपरीत, २००९ में अमेरिका ने भारत को केवल २३७ मिलियन के ही हथियार निर्यात किये थे।

हालांकि रणनीतिक स्वायत्तता रूसी हथियार से भारत के विविधीकरण की एक प्रेरणा है, अविश्वसनीयता, लोजिस्टिक्स सपोर्ट, और रूसी प्लेटफार्मों की डिलीवरी में देरी भी महत्वपूर्ण कारण हैं। उदाहरण के लिए, रूस का सुखोई 30 MKI, जो भारतीय वायुसेना का मुख्य सहारा है, उसकी उपलब्धता का दर केवल ५५ प्रतिशत है। जिसका अर्थ यह हुआ कि केवल आधे से थोड़े अधिक विमान आपरेशन के लिए किसी भी समय उपलब्ध होंगे। भारतीय नौ सेना का विमान वाहक पोत (aircraft carrier) मिग-29K(एक और रूसी प्लेटफार्म) की उपलब्धता का दर केवल ३७ प्रतिशत है। इसके विपरीत, डसॉल्ट राफेल विमान, जिसके लिए हाल ही में भारत ने फ्रांस के साथ डील की है, न्यूनतम ७५ प्रतिशत उपलब्धता दर की गारंटी देता है। इसके अलावा, भारतीय सेना को T-90, मुख्य युद्धकटैंक, और युद्धसामग्री के लिए अतीत में टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर में देरी का सामना करना पड़ा है।

हालांकि, बजट की कमी का मतलब है कि भारतीय सशस्त्रबल अपने युद्ध लड़ने की क्षमता को बढ़ाने के लिए तकनीकी रूप से एडवांस्ड प्लेटफार्म में जल्द निवेश करने की स्थिति में नही है। इस प्रकार, लघु और मध्यम अवधि में, भारत रूस के साथ एक मजबूत रक्षा संबंध बनाए रखेगा, विशेष रूप से जब कॉन्ट्रैक्ट्स पहले ही शुरू हो चुके हैं और केवल उसे लोजिस्टिक्स मुद्दों में साथ सहायता तथा  स्पेयर कॉम्पोनेन्ट और मौजूदा हथियार प्लेटफार्म की आधुनिकीकरण की ज़रुरत है। इसके अलावा, भारतीय रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को भी लाइट यूटिलिटी हेलीकाप्टर जैसी बुनियादी सैन्य प्लेटफॉर्म समय पर डिलीवर करने की क्षमता नही है।  इसका यह अर्थ  हुआ कि भारत नए प्लेटफार्म के लिए रूस पर ही अपना  भरोसा जारी रखेगा। उदाहरण के तौर पर, भारत  और रूस २०० कामोव 226 लाइट हेलीकाप्टर के उत्पादन के लिए एक संयुक्त उद्यम में प्रवेश करेंगे।

ऐसे में जब भारत इस क्षेत्र में बढ़ते सैन्य अंतर को कम करने का प्रयास कर रहा है तब पाकिस्तान के पक्ष में जाने वाले किसी भी ठोस सैन्य लाभ को रोकने के लिए पाकिस्तान के रूसी सैन्य निर्यात पर रोक लगाना या उसका कोई प्रबंध करना महत्वपूर्ण हो जाता है। अगस्त २०१५ में, पाकिस्तान ने रूस के राज्य हथियार निर्यातक Rosoboronexport से चार एमआई-35 हमलावर हेलीकॉप्टर खरीदे। हालांकि पूर्ण सैन्य दृष्टि से ये बिक्री महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन इससे भविष्य में अधिक उन्नत हथियार की बिक्री की संभावना बढ़ गई है। इसके अलावा, ये भी ग़ौरतलब है कि चीनी इंजन लेने के बजाय, पाकिस्तान ने  संयुक्त रूप से चीन और पाकिस्तान द्वारा विकसित जेएफ -17 लड़ाकू विमान के लिए रूसी आरडी-93 इंजन पर भरोसा जारी रखने का फैसला किया है। चीन को एक मध्यस्थ के रूप में प्रयोग करने के  बजाए आरडी-93 इंजन सीधे रूस से खरीदने की अनुमति देकर रूस ने पाकिस्तान के साथ अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत किया है।

जैसा कि मैंने कहीं और भी लिखा है, पाकिस्तान के साथ संबंध सुधार के पीछे रूस के तीन प्राथमिक उद्देश्य है।पहला, रुस, भारतअमेरिका रक्षा संबंधों में सुधार का जवाब देने का का प्रयास  कर रहा है। जबकि भारत  अभी भी रूसी सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा आयातक है, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से जुझते  हुए रूसी उद्योग के  लिए नए खरीदारों मे विविधता लाना लाभ दे सकता है। दूसरा, अफग़ानिस्तान और मध्य एशिया  जैसे आपसी हितवाले क्षेत्रों में इस्लामी आतंकवाद से लड़ने में रूस इस्लामाबाद के साथ सहयोग करना चाहता है। तीसरा, क्रीमिया संकट के बाद, रूस चीन से नज़दीकी  बढ़ा कर चीनपाकिस्तान धुरी के करीब हो गया है।

make-in-india-narendra-modi-flikr

कई बड़े मिलिट्री आइटम जैसे मेक इन इंडिया के तहत कामोव 226 लाइट हेलीकॉप्टर, सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल, चार फ्रिगेट, और मास्को और नई दिल्ली के बीच एक दूसरी अकुला श्रेणी  वाली परमाणुपनडुब्बी की लीज (lease) पर विकास ने इस ख्याल को महत्वपूर्ण बना दिया है कि छोटे एवं मध्यम अवधि में, सामरिक संबंधों में कमी नहीं होगी। भारत के लिए दीर्घकालिक चुनौती यह होगी कि वह अपनी सैन्य खरीद में विविधता कैसे लाए और अमेरिका के साथ अपने अच्छे संबंधों कैसे बनाए रखे, अपने प्रमुख उद्देश्यों के लिए रूसी समर्थन खोये बिनाविशेष रूप से पाकिस्तान के संबंध में। भारत देख चूका है कि यह कितनी मुश्किल चुनौती है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के घोषणा-पत्र में पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजक राज्य घोषित करने में भारत रूस का स्पष्ट रूप से समर्थन जुटाने में विफल रहा। जब तक भारत सैन्य रूप से रूस पर निर्भर रहेगा,  उससे मास्को के हितों पर विचार करना होगा।

Editor’s note: To read this article in English, click here.

***

Image 1: Narendra Modi, Flickr 

Image 2: Narendra Modi, Flickr

Posted in:  
Share this:  

Related articles

سی پیک کو بچانے کے لیے، پاکستان کی چین پالیسی میں اصلاح کی ضرورت ہے Hindi & Urdu

سی پیک کو بچانے کے لیے، پاکستان کی چین پالیسی میں اصلاح کی ضرورت ہے

پاکستان کے وزیر اعظم شہباز شریف رواں ماہ کے اوائل میں صدر شی جن پنگ اور دیگر اعلیٰ چینی حکام سے ملاقاتوں کے بعد تقریباََ خالی ہاتھ وطن واپس پہنچ گئے ہیں۔ چین نے واضح انضباطِ اوقات ( ٹائم لائن) کے تحت پاکستان میں بڑے منصوبوں کے لئے سرمایہ کاری کا وعدہ نہیں کیا۔ اس […]

آبدوزیں بحرہند میں ہندوستان کی ابھرتی ہوئی قوت کی کلید ہیں Hindi & Urdu

آبدوزیں بحرہند میں ہندوستان کی ابھرتی ہوئی قوت کی کلید ہیں

شمال مغربی بحر ہند میں سمندری تجارت گزشتہ چھ ماہ…

بی جے پی کے زیرِقیادت گلگت بلتستان پر بھارتی  بیان بازی Hindi & Urdu

بی جے پی کے زیرِقیادت گلگت بلتستان پر بھارتی  بیان بازی

بھارتیہ جنتا پارٹی (بی جے پی) کے زیرِ قیادت بھارتی…