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दिसंबर 2024 में, भारत और फिलीपींस ने विदेश मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में अपना पहला ट्रैक-1 समुद्री संवाद आयोजित किया था। यह संवाद भारत और फिलीपींस के बीच पिछले कुछ वर्षों से घनिष्ठ हो रहे द्विपक्षीय रक्षा संबंधो को  प्रकट करता है।विशेषकर, भारत-फिलीपींस राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर को महत्वपूर्ण बनाता है। हालाँकि, भारत और फिलीपींस के सैन्य संबंध अपेक्षाकृत देर से उभरे हैं। परंतु, हाल के वर्षों में चीन से जुड़ी चिंताओं ने दोनों देशों को अपनी रक्षा भागीदारी को बढ़ाने हेतु प्रेरित किया है| चीन ने दक्षिण चीन सागर में द्वितीय थॉमस और सबीना शोल में फिलीपींस के घूर्णन और पुनः आपूर्ति मिशनों का विरोध किया है, जिसके कारण संबंधों में खटास एवं टकराव  देखा गया है| इसी तरह, जून 2020 में विवादित सीमाक्षेत्र में  गलवान झड़प के बाद चीन के साथ भारत के संबंध बिगड़े हैं| हाल ही में, पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच हुए सैन्य विलगन समझौते के बावजूद, भारत चीन को एक दीर्घकालिक ख़तरे के रूप में देखता है|

भारत और फिलीपींस अपनी पूरकताओं से स्वतः लाभान्वित हो सकते हैं| पर उनके द्विपक्षीय जुड़ाव की गति और प्रगाढ़ता चीन के साथ उनके समीकरणों के दीर्घकालिक प्रक्षेपवक्र पर निर्भर रहेगी।

 ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित साझेदारी

अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की तुलना में, भारत और फिलीपींस के द्विपक्षीय संबंधों में घनिष्ठता लम्बे समय बाद फलित हुई है| 1990 के दशक से, अपनी “पूर्व की ओर देखो नीति” के अंतर्गत, भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यासों का आयोजन कर रहा है| परंतु, फिलीपींस के साथ भारत ने द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का प्रारम्भ केवल 2000 के दशक के मध्य से ही किया था|

भारत और फिलीपींस अपनी पूरकताओं से स्वतः लाभान्वित हो सकते हैं| पर उनके द्विपक्षीय जुड़ाव की गति और प्रगाढ़ता चीन के साथ उनके समीकरणों के दीर्घकालिक प्रक्षेपवक्र पर निर्भर रहेगी।

अपने प्राथमिक आर्थिक, विकासात्मक, और सुरक्षा भागीदार के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका पर फिलीपींस की लंबे समय से निर्भरता भारत के साथ फिलीपींस के रक्षा जुड़ाव की धीमी गति को आंशिक रूप से वर्णित कर सकती है घरेलू खतरों, विशेष रूप से दक्षिणी फिलीपींस में विद्रोह, ने मनीला को अपने पारंपरिक सहयोगी संयुक्त राज्य अमेरिका से परे देखने को बाधित किया है| लेकिन राष्ट्रपति दुतेर्ते के मोर्चा संभालने के उपरांत परिवर्तन आया है| दुतेर्ते प्रशासन ने वाशिंगटन पर फिलीपींस की निर्भरता को कम करने हेतु अथक प्रयास किए और भारत जैसे गैर-पारंपरिक भागीदार के साथ रणनीतिक संबंधों को मज़बूती प्रदान की| 

भारत की ओर से, अपने निकटवर्ती पड़ोस पाकिस्तान एवं चीन से भू-आधारित ख़तरों के प्रति उसकी अतिव्यस्तता ने नई दिल्ली द्वारा फिलीपींस की उपेक्षा में योगदान दिया था| लेकिन, हाल के वर्षों में भारत-चीन संबंधों में तनाव के फलस्वरूप, भारत-फिलीपींस रक्षा सहयोग में घनिष्ठता का दौर प्रारम्भ हुआ है|

भू-राजनीतिक अभिसरण में विस्तार 

ऐतिहासिक रूप से, चीन को व्यथित न करने की मंशा से भारत ने अन्य देशों के साथ अपने संयुक्त बयानों में दक्षिण चीन सागर का उल्लेख नहीं किया था| परन्तु अपनी क्षेत्रीय सीमा पर भारत के विरुद्ध चीन के निरंतर आक्रमणकारी रूख के साथ-साथ भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका के बढ़ते रणनीतिक तालमेल ने हाल के वर्षों में दक्षिण चीन सागर विवाद पर नई दिल्ली के व्यवहार में परिवर्तन को गति दी है| उदाहरण के तौर पर, अक्टूबर 2014 में, भारत ने अमेरिका के साथ प्रथम बार दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता के महत्त्व का उल्लेख किया था। गलवान संघर्ष ने चीन के प्रति भारत के रूख को और बल प्रदान किया| भारत की इस प्रवृत्ति से यह भी प्रमाणित हो गया कि दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर अब भारत अपने विचारों को लेकर और मुखरित हो गया है| 2021 के बाद से, भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के बीच शिखर सम्मेलन के प्रत्येक संयुक्त बयान में दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता और क्षेत्र में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) को बनाए रखने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है।

दक्षिण चीन सागर विवाद पर भारत के रुख में इस परिवर्तन ने भारत-फ़िलीपीन्स संबधों को और घनिष्ठता प्रदान की है| जब यूएनसीएलओएस के अंतर्गत स्थापित स्थायी माध्यस्थम न्यायालय ने 2016 में चीन के साथ समुद्री विवाद में फिलीपींस के पक्ष में निर्णय दिया था, तब भारत ने किसी का पक्ष नहीं लिया था और तटस्थ रुख अपनाया था| हालाँकि, 2023 में, इस स्थिति में परिवर्तन देखा गया जब भारत ने प्रथम बार फिलीपींस का समर्थन करते हुए चीन से 2016 के निर्णयका पालन करने का आह्वान किया| इसके अतिरिक्त, चीन की भारत के प्रति बढ़ती नाराज़गी के बावजूद, मार्च 2024 में, भारतीय विदेशमंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने फिलीपींस की संप्रभुता को बनाए रखने में भारत के समर्थन को दोहराया|

रक्षा संलग्नता में वृद्धि

दक्षिण चीन सागर में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था का समर्थन करने की भारत की इच्छा ने फिलीपींस के साथ उसके तालमेल को प्रबलता प्रदान की है, और दोनों देशों के बीच गहन रक्षा सहभागिता को सुनिश्चित रूप दिया है| उदाहरण के लिए, नवंबर 2017 में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मनीला यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने रक्षा उद्योग और लॉजिस्टिक सहयोग को प्रोत्साहन देने हेतु एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया था| इसके उपरांत, अगस्त 2023 में समुद्री सहयोग बढ़ाने हेतु, दोनों देशों के तट रक्षकों के बीच भी एक एमओयू हुआ| इस एमओयू के पश्चात्, श्वेत पोत परिवहन सूचना के आदान-प्रदान हेतु, एकमानक संचालन प्रक्रिया पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर भी किए थे| भारत और फिलीपींस की नौसेनाएँ हाइड्रोग्राफिक सहयोग पर भी काम कर रही हैं।

रणनीतिक संवादों में वृद्धि ने भी दोनों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों में व्यापक विस्तार किया है| उदाहरण के लिए, भारत-फिलीपींस संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (जेडीसीसी) की स्थापना 2006 में हस्ताक्षरित रक्षा सहयोग के उद्देश्य से की गई थी| सितंबर 2024 में, जेडीसीसी को संयुक्त सचिव स्तर से सचिव स्तर तक पदोन्नत किया गया था| इसके अतिरिक्त, रक्षा उद्योग और लॉजिस्टिक सहयोग के लिए एक एमओयू के तहत एक संयुक्त रक्षा उद्योग और लोजिस्टिक्स समिति की स्थापना की गई थी। दिसंबर 2024 का ट्रैक-1समुद्री संवाद नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन ऑफ इंडिया और फिलीपींस के स्ट्रैटबेस एडीआर इंस्टीट्यूट के बीच आयोजित सितंबर 2023 ट्रैक-2 के स्थायी तौर पर उत्तीर्ण होने के पश्चात् आयोजित किया गया था| 

यह बढ़ी हुई रक्षा वार्ता सैन्य अभ्यासों की एक श्रृंखला के समानांतर चल रही है। 2006 से, जब भी भारतीय जहाज़ फिलीपींस के बंदरगाहों का दौरा करते हैं, तो भारत और फिलीपींस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास करते हैं। इसके अलावा, 2019 में भारत ने दक्षिण चीन सागर में फिलिपिनो, अमेरिकी और जापानी नौसेनाओं के साथ “ग्रुपसेल” नामक अभ्यास में भी भाग लिया था| इसके अतिरिक्त, 2023 में भारत और आसियान ने भी अपना पहला सैन्य अभ्यास किया था, जिसमें फिलीपींस भी शामिल था| 

इस प्रबल गति और सहयोग के लिए विकासशील संस्थागत ढांचे से प्रेरित होकर, भारतीय रक्षा उद्योग के प्रतिनिधि फिलिपिनो रक्षा बाज़ार में प्रवेश करने के लिए तत्पर हैं| जनवरी 2022 में, फिलीपींस भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र खरीदने वाला पहला देश बन गया। उस समय, यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात सौदा था| फरवरी 2024 में, मनीला में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित रक्षा उद्योग संगोष्ठी में 18 भारतीय कंपनियों ने अपने रक्षा उपकरणों को प्रदर्शित भी किया था | इसके अतिरिक्त, भारत ने 40 लड़ाकू विमान हासिल करने हेतु (निविदा का विवरण करते हुए) अपने हल्के लड़ाकू विमान, तेजस एमके-1ए, को भी फिलीपींस के समक्ष पेश किया था। भारत और फिलीपींस के बीच आपसी विश्वास में बढ़ोतरी के संकेत देखे गए हैं| भारत ने निर्दिष्ट किया है कि वह संयुक्त रक्षा उत्पादन में फिलीपींस के साथ साझेदारी करने का इच्छुक है| पिछले वर्ष, भारतीय रक्षा सचिव ने फिलीपींस को रक्षा उपकरणों के सह-विकास और सह-उत्पादन में भारत के रक्षा उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ साझेदारी करने के लिए आमंत्रित किया था।

पारस्परिक लाभ के अवसर

मार्च 2024 में, फिलीपींस ने अपने क्षेत्रीय जल और विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के बचाव हेतु एक व्यापक द्वीपसमूह रक्षा अवधारणा (सीएडीसी) का अनावरण किया था| सीएडीसी का इरादा अपने पूरे क्षेत्र और ईईजेड की सुरक्षा और बचाव हेतु फिलीपींस की सैन्य क्षमताओं को विकसित करना है| इसका उद्देश्य दक्षिण चीन सागर में चीन के विरुद्ध निरोध क्षमताएँ प्राप्त करना है।

फिलीपींस की उदीयमान सैन्य क्षमताओं को देखते हुए, भारत के साथ रक्षा भागीदारी से मनीला को सीएडीसी समझौते के क्रियान्वयन और संचालन में अधिक सहायता प्राप्त होगी| भारत पहले से ही फिलीपींस के सशस्त्र बलों की क्षमता निर्माण में सहायता कर रहा है| उदाहरण के लिए, भारत फिलीपींस के कर्मियों को सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है| नवंबर 2023 में, भारत ने फिलीपींस तटरक्षक बल को सात हेलीकॉप्टर भी दिए, जिनका उपयोग मानवीय और सक्रिय सुरक्षा मिशनों में किया जा सकता है।

महाद्वीपीय और समुद्री क्षेत्रों में चीन की भारत के साथ प्रतिद्वंद्विता नई दिल्ली को फिलीपींस के लिए एक मूल्यवान भागीदार बनाती है।

मनीला में निवेश से नई दिल्ली भी लाभान्वित होगा| फिलीपींस के सशस्त्र बलों की क्षमता निर्माण में सहयोगिता से हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक विश्वसनीय रक्षा भागीदार के रूप में भारत की साख बढ़ेगी। इसके अतिरिक्त, फिलीपींस का महत्वाकांक्षी सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम भारतीय रक्षा उद्योग के लिए रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने का एक आकर्षक अवसर है| फिलीपींस के साथ साझेदारी आने वाले वर्षों में भारत के लिए महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है, क्योंकि इस साझेदारी के माध्यम से, हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत अपना प्रभाव बढ़ा सकता है| दक्षिण पूर्व एशिया के कई देश पहले से ही बढ़ते चीनी प्रभाव के विरुद्ध भारत को “द्वितीयक संतुलनकर्ता” के रूप में देखते हैं| इस सन्दर्भ में, फिलीपींस के साथ जुड़ाव भारत के लिए इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और साख दोनों निर्मित करने का अवसर प्रदान करती है| 

परन्तु, इस बढ़ते अभिसरण के बावजूद, भारत और फिलीपींस को अपने संबंधों में घनिष्ठता लाने हेतु अभी भी और अधिक समय और ऊर्जा में निवेश करना होगा| अपनी भौगोलिक निकटता एवं भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों के कारण हिंद महासागर क्षेत्र नई दिल्ली के अधिकांश राजनयिक ध्यान का केंद्र बन गया है| भारत की हिंद-प्रशांत नीति के सीमित दायरे के कारण, यदि हिंद महासागर क्षेत्र पर नई दिल्ली का रणनीतिक ध्यान दक्षिण पूर्व एशिया की उपेक्षा करता है, तो ऐसी परिस्थिति में फिलीपींस के साथ भारत की रक्षा भागीदारी बाधित हो सकती है।

इसके साथ ही, फिलीपींस की उप राष्ट्रपति सारा दुतेर्ते को वर्तमान राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर का उत्तराधिकारी माना जा रहा है| सारा दुतेर्ते से चीन के प्रति अपेक्षाकृत मित्रतापूर्ण रवैया अपनाने की अपेक्षा है, जो नई दिल्ली के साथ मनीला की रक्षा भागीदारी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

मार्कोस प्रशासन में, फिलीपींस दक्षिण चीन सागर में चीन के विरुद्ध, अपनी “मुखर पारदर्शिता रणनीति” के प्रति अंतरराष्ट्रीय ध्यान और समर्थन आकर्षित करने हेतु, नए रणनीतिक साझेदारों के साथ जुड़ रहा है। महाद्वीपीय और समुद्री क्षेत्रों में चीन की भारत के साथ प्रतिद्वंद्विता नई दिल्ली को फिलीपींस के लिए एक मूल्यवान भागीदार बनाती है। हालाँकि, इस सम्बन्ध की गति और घनिष्ठता इस बात पर पूर्णतः निर्भर रहेगी कि दोनों देशों के चीन के साथ संबंध कैसे विकसित होंगे तथा बीजिंग से उन्हें भविष्य में किस तरह के खतरों का बोध हो रहा है|

This article is a translation. Click here to read the original in English.

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Image 1: Embassy of India in the Philippines via X

Image 2: Alexis Redin via Wikimedia Commons

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